सूर्य नमस्कार योग कैसे करें – Surya Namaskar Hindi
Surya Namaskar Yog Kaise Kare Image ke Sath Jankari Hindi
सूर्य नमस्कार योग व सूर्यनमस्कार करने का तरीका – एक बार मैं एक दोस्त के घर गया और वहाँ उसने अपने दादा जी से मेरा परिचित कराया. वह 87 वर्ष के हैं और अच्छे स्वास्थ्य में हैं, दृष्टि, रक्तचाप, मधुमेह आदि कुछ भी बीमारी नहीं हैं. उनके स्वास्थ के रहस्य के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने बस इतना ही कहा, “नियमित संतुलित आहार और दैनिक सूर्य नमस्कार”
यह एकमात्र ऐसे प्रकार का व्यायाम है जो की किसी भी उम्र के पुरुषों और महिलाओं द्वारा आसानी से किया जा सकता है, किसी भी उपकरण की आवश्यकता के बिना, यह योग सभी महत्वपूर्ण अंगों को रक्त की आपूर्ति बढ़ाने के लिए व उनकी दक्षता में वृद्धि और मांसपेशियों को काम करने के लिए मदद करता है. योग के आसन और प्राणायाम के लाभ यदि धीमी गति से किए जाएं और तेज गति से किए जाये तो इसके लाभों को दोगुना किया जा सकता है. इस योग से दिल और फेफड़े की कार्यक्षमता बढ़ा सकते हैं. यह व्यायाम का एक संपूर्ण और संपूर्ण रूप है जो कई सरे लाभ प्रदान करता है.
कुल बारा योगो को एक साथ मिलकर पूर्ण सूर्य नमस्कार बनता हैं. प्रत्येक योग की स्थिति अलग होती है. इसे करने से पहले, आइए पहले सूर्य नमस्कार करते समय श्वास की स्थितियों पर एक नज़र डालते है.
सूर्य नमस्कार योग में साँस के कुछ निम्न प्रकार है
1) पूरक: लम्भी साँस अंदर लेना
2) रेचक: लम्भी साँस बहार छोड़ना
3) कुम्भक: साँस को अंदर लेना कुछ देर रोकना फिर धिरे धिरे बहार छोड़ना
आइये अब हम 12 सूर्य नमस्कार में योगासनों पर इमेज के साथ एक-एक कर कर नज़र डालते हैं (Surya namaskar kaise kare hindi)
स्थिती 1 : प्रार्थनासन सूर्यनमस्कार
दोनों हाथ छाती के बीच में रख कर नमस्कार की स्थिति में खड़े हो जाइये, गर्दन सिथि और दोनों पैरों को पास में रखिये, पीठ को सिथा रखिये और साँस को अंदर लीजिये, यह आपके सरीर को संतुलित रखता है.
स्थिति 2: ताडासन सूर्यनमस्कार
धीरे-धीरे दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाइये और थोड़ा सा पीछे की तरफ मुड़िये, दोनों हाथों के बीच गर्दन रखते हुए और कमर से पीछे की ओर थोड़ा झुकें, ऊपर की ओर ध्यान दें ( पहले की स्थिति से दूसरी स्थिति में जाते हुए धीरे-धीरे गहरी सांस लें) लाभ – यह आसन साँस तंत्र के लिए उपयोगी मांसपेशियों को मजबूत करता है.
स्थिती 3 : उत्तानासन सूर्य नमस्कार
धीरे-धीरे आगे की ओर झुकते हुए बाजुओं को जमीन की ओर झुकाएं कमर को झुकते हुए खड़े होकर, दोनों हाथों को पैरों के किनारों पर, माथे और घुटनों को मोड़ते हुए (घुटनों को मोड़े बिना) घुटनों को मोड़ने की कोशिश करें, इस इस्तिति में साँस धीमी गति से छोड़े जैसा कि आप दूसरे स्थान से तीसरे स्थान पर जा सके. लाभ – कमर के लचीलेपन, रीढ़ के लचीलेपन और मांसपेशियों की ताकत को बढ़ाता है, यकृत जैसे पेट के अंगों के लिए उपयोगी है.
स्थिती 4 : एकपाद प्रसरणासन
तीसरी स्थिति से, धीरे-धीरे घुटनों को मोड़ें और एक पैर को पीछे की और ले जाय, हाथों की हथेलियाँ ज़मीन पर रखे, दोनों हाथों के बीच एक पैर के पंजे को रखे और नब्बे डगरी का कौन बनाये, जांघों पर दबाव, ऊपर की ओर रखे, इस आसन में एक लम्बी सास ले. लाभ – पैर की मांसपेशियों, रीढ़ की हड्डी और गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत करता है.
स्थिती 5: चतुरंग दंडासन सूर्यनमस्कार
चौथे स्थान से, दूसरे पैर को मिलाने के लिए धीरे-धीरे दूसरे पैर को पीछे की ओर ले जाएं, दोनों पैर घुटनों के बल खड़े हों, पूरा शरीर पैरों के तलवों और हाथों की हथेलियों, एड़ी, कमर और सिर पर सीधा हो. पंक्ति, घुटनों पर पैर सख्त, आँखें हाथों से कुछ दूरी पर जमीन पर (हाथों की हथेलियाँ और पैरों के तलवे चार अंग हैं, इसलिए शरीर को एक छड़ की तरह सीधी रेखा में तौला जाता है) लाभ शरीर संतुलित और मजबूत होते है.
स्थिती 6: अष्टांगासन सूर्यनमस्कार
पाँचवीं स्थिति से, भुजाओं को कोहनियों पर मोड़कर रखें और माथे, छाती, दोनों हथेलियाँ, दोनों घुटने और चार अंग ज़मीन पर रखते हुए पूरे शरीर को ज़मीन की ओर रखें, सरीर को पूरा सीथा कर ले (अष्टांगासन के रूप में आठ अंग जमीन पर झुकते हैं) सास के रोकने की कोसिस करे, लाभ इस आसन से आपकी सास की बीमारी व सरीर मजबूत होता है.
स्थिती 7: भुजंगासन सूर्यनमस्कार
भस्त्रंगासन की स्थिति से शरीर के ऊपरी भाग को आगे लाएँ, दोनों हाथों के बीच में कमर को लाएँ और शरीर के भाग को पीछे की ओर झुकाएँ, शरीर के अग्र भाग को पीछे की ओर लाएँ, जाँघें और पैर सामने होने चाहिए जमीन, रीढ़ अर्धवृत्ताकार होनी चाहिए, लाभ – रीढ़ लचीली हो जाती है और मांसपेशियां मजबूत होती हैं, कमर अधिक लचीली हो जाती है.
स्थिति 8: अधोमुख श्वानासन सूर्यनमस्कार
सातवीं स्थिति से, कूल्हों को धीरे-धीरे ऊपर की ओर ले जाएं, नितंबों को पूरी तरह से ऊपर की ओर खींचें, हाथों और पैरों को पूरी तरह से जमीन पर टिकाएं, ठुड्डी को बिना झुकाए, गर्दन को झुकाकर छाती तक लाने का प्रयास करें,पैरो को बिलकुल सीधा रखे लाभ – रीढ़ और काठ की मांसपेशियों के लिए फायदेमंद है.
स्थिती 9 : एकपाद प्रसरणासन सूर्यनमस्कार
नवे स्थान से दसवे स्थान पर जाते समय, पीछे के पैर को आगे लाएं और चौथे स्थान पर उसी स्थिति में आएं, श्वसन स्थिति: पूरक
स्थिती 10: उत्तानासन सूर्यनमस्कार
तीसरी स्थिति के समान स्थिति। श्वसन की स्थिति – रेचक
स्थिती 11: ताडासन सूर्यनमस्कार
स्थिती क्रमांक 2 में आ जाय
स्थिती 12: प्रार्थनासन सूर्यनमस्कार
स्थिती क्रमांक 1 में आ जाय
हर सुबह कम से कम 13 ऐसे सूर्य नमस्कार करने से शरीर को कई फायदे होते हैं, वे फायदे इस प्रकार हैं (Surya namskar ke fayade kya hai)
१) भुजाओं को मजबूत बनता है
2) रीढ़ लचीली बनती है, मांसपेशियां मजबूत होती हैं और कमर लचीली होती है
3) यह पेट के पास की चर्बी को पिघलाकर वजन घटाने में मदद करता है
4) पाचन में सुधार करता है
5) एकाग्रता बढ़ाता है, शरीर को संतुलित करता है
6) सभी महत्वपूर्ण अंगों को रक्त की आपूर्ति बढ़ाता है, हृदय और फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाता है
सूर्य नमस्कार मंत्र (Surya namaskar Mantra)
ॐ ध्येयः सदा सवितृ-मण्डल-मध्यवर्ती, नारायण: सरसिजासन-सन्निविष्टः।
केयूरवान् मकरकुण्डलवान् किरीटी, हारी हिरण्मयवपुर्धृतशंखचक्रः ॥
ॐ मित्राय नमः।
ॐ रवये नमः।
ॐ सूर्याय नमः।
ॐ भानवे नमः।
ॐ खगाय नमः।
ॐ पूष्णे नमः।
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
ॐ मरीचये नमः। (वा, मरीचिने नम:)
ॐ आदित्याय नमः।
ॐ सवित्रे नमः।
ॐ अर्काय नमः।
ॐ भास्कराय नमः।
ॐ श्रीसवितृसूर्यनारायणाय नमः।
आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने।
आयुः प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते ॥
सूर्य नमस्कार का पूरा लाभ प्राप्त करने के लिए, व्यक्ति को प्रत्येक स्थिति में 10 से 15 सेकंड तक स्थिर रहना चाहिए, प्रत्येक स्थिति को समान समय दिया जाना चाहिए
सूर्य नमस्कार करते समय क्या सावधानी रखे
- सूर्य नमस्कार हमेशा खाली पेट करना चाहिये
- हमेशा खुली,हवादार जगह पर सूर्य नमस्कार का अभ्यास करें, ऐसे आपको भरपूर ऑक्सीजन मिलता है
- यदि आप सुबह या दिन में इसका अभ्यास कर रहे है तो पूर्व की दिशा की और मुँह रखे
- यदि शाम को कर रहे हैं तो पश्चिम की तरफ अपना मुँह रखें
- ढीले और आरामदायक कपड़ें ही पहनें
- ज्यादा पानी ना पिए
सूर्य नमस्कार योग के बारे में कुछ सवाल
सूर्य नमस्कार कितनी बार करना चाहिए?
सूर्य नमस्कार कम से कम 12 से 15 करना चाहिए, वैसे आप कितनी भी बार कर सकते है.
सूर्य नमस्कार कब और कैसे करें?
सूर्य नमस्कार प्रातः कल करना चाहिए, और इस सम्पूर्ण इस्तिति में करना चाहिए जो की 12 आसन पर आधारित है.
सूर्य नमस्कार में कौन कौन से आसन होते हैं?
सूर्य नमस्कार में कुल 12 आसन होते है.
पानी पीने के कितनी देर बाद योग करना चाहिए?
पानी पीने के 30 मिंट देर बाद योग करना चाहिए
योग दिन में कितनी बार करना चाहिए?
वैसे तो योग दिन में 2 बार करना चहिये, पर एक बार किया हुआ योग भी बहोत फ़ायदेमं होता है.
सूर्य नमस्कार क्यों करना चाहिए?
सूर्य नमस्कार करने से मानसिक व शारीरिक शक्ति मिलती है.
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