भारत एक ऐसा देश है जहाँ सालभर त्योहारो का मेला लगा रहता है.उन्ही उत्सव में से एक उत्सव है दूर्गा पुजा. यह उत्सव चैत्र माह के महिने में मनाया जाता है केवल हिन्दू धर्म हि नही बल्कि हर धर्म से जुडे त्योहार भारत में मनाते है. यहाँ हर धर्म के लोग रहते है तो वे हर साल अपने-अपने त्योहारों और उत्सवों को मनाते है.
हिन्दू धर्म भारत का प्राचिन धर्म है जिसमें कई सालो से कई प्रथाएँ और पोराणिक कथाएँ और एक अलग हि इतिहास है. हिन्दू देवी-देवताओं के त्योहार भारत भर में प्रसिद्ध है और इन्हे हर धर्म के लोग मनाते है. माँ दुर्गा का यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है. हर उत्सव हिन्दु धर्म के लोगो द्धारा हर साल उत्साह और विश्वास के साथ मनाया जाता है.
यह एक धार्मिक पर्व है जिसके बहुत से महत्व है. यह त्योहार हर साल पतझड़ के मोसम में आता है. दुर्गा पुजा के इस त्योहार को नवरात्रो का त्योहार भी कहा जाता है. नवरात्र अर्थात नौ रातो का त्योहार यह त्योहार दुर्गा पुजा के रूप में प्रसिद्ध है. इस नो दिन देवी माता कि पूजा कि जाती है. पुरी श्रद्धा और भावना के साथ. रोजाना लोग स्नान कर मदिर जाते है वहा पर भगवान का पाठ करते है. घर के मन्दिर में भी माँ दुर्गा को नो दिन रोज अलग-अलग चुनरी उड़ाई जाती है. पूरे दिन भजन चालु रखे जाते है.
माँ दुर्गा के इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई कि जीत के लिए मनाया जाता है. भक्तो का भगवान पर भरोशा हि इस त्योहार को मनाने का मुख्य कारण है. माना जात है कि इस दिन देवी दुर्गा ने बैल राक्षस महिषासूर पर विजय प्राप्त की थी जो भगवान से वरदान पाकर बहुत शक्तिशाली हो गया था और उसने चारों और अपना आंतक फैला रहा था. कहते है कि भगवान राम ने रावण का वध भी इस दिन किया था. रावण के वध के नौ दिन भी बड़ी नवरात्रो के रूप में मनाया जाता है.
यह नवरात्री का त्योहार बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है.
इन दिनो लोग गरबा नामक नृत्य करके पुरे नो दिन उत्सव मनाते है. जगह-जगह गरबा होता है एक हि शहर में अनेको जगह गरबा होता है. पुरे नौ दिन के युद्ध के बाद दसवे दिन महिषासुर को मारकर माता ने इस युद्ध में विजय हासिल कि थी. इसे शक्ति का दिन भी कहा जाता है. लोग लम्बा उपवास रखते है कुछ लोग नौ दिन तक अखण्ड उपवास रखते है जो जल के सिवा कुछ ग्रहण नही करते तथा वही कुछ लोग एक समय का उपवास रखते है जो दिन में खाते है तो रात में नही खाते तथा रात में खाते तो दिन में नही खाते और पुरे नो दिन तक रात-दिन माँ दुर्गा कि अराधना करते रहते है. भारत में नवरात्रों के दिनो में मंदिरो में भक्तो कि भारी भीड़ होने लग जाती है साथ-साथ विदेशी पर्यटको भी भारी भीड़ होने लग जाती है. दुर्गा पुजा का त्योहार संसार से बुराईयो के अन्त के लिए भी मनाया जाता है.
नवरात्री के नौ दिन लोग छोटी बालिकाओं को कन्याओं को माँ दुर्गा के रूप में पुजते है. लोग कन्याओं को भोजन करवाते है उन्हे भोजन करवाने के बाद उन्हे माता कि चुनरी और कुछ फल और कुछ शगुन के पैसे भी कन्याओं के हाथ में देते है. देवी को भोग चढ़ाने के बाद वे कन्याओं को भोजन करवाते है फिर सब कन्याओ के पैर थाली में धोते है | बाद में कन्याओ के जाने के बाद स्वयं भोजन करते है. रात्री के नौ दिन लोग माता का ध्यान करते है. इन दिनो लोग माता के नाम से व्रत भी रखते है. इन दिनो मांसाहारी लोग भी शाकाहारी भोजन करते है. हर पर्व का अपना महत्व है. इस त्योहार में केवल विशेष प्रकार का आन्नद हि प्राप्त नही होता है बल्कि जीवन में उत्साह एवं नव ऊर्जा का संचार भी होता है.
दुर्गा पुजा को वास्तव रूप में शक्ति पाने कि इच्छा से मनाया जाता है जिससे विश्वभर से बुराईया को अन्त किया जा सके. जैसे देवी दुर्गा ने ब्रह्मा,विष्णु और शंकर की शक्तियों को इक्कठा करके दुष्ट राक्षस का अन्त किया और बुराई पर अच्छाई कि जीत हासिल कि तथा धर्म को बचाया उसी प्रकार वर्तमान में भी हम बुराईयो पर जीत हासिल करके सच्चे धर्म और अच्छाई को फैला सके. देवी दुर्गा कि मुर्ति को सजाकर प्रसाद ,जल,कुमकुम,नारियल,सिंदूर आदि और भी वस्तुएँ अपनी क्षमता के अनुसार और श्रद्धा के अनुसार माता को अर्पित कर पुजा करते है. लोग इस विश्वास के साथ पूजा करते है कि माँ दुर्गा लोगो को अंधकार से बाहर निकालकर उनके जिवन में रोशनी भर देगी. उनके सारे दुख दुर हो जाएगें और खुशहाली आ जाएगी और उनकी जिन्दगी मे नया सवेरा आ जाएँगा इसी आशा से लोग माँ दूर्गा का उत्सव श्रद्धा के साथ मनाते है. इन दिनो लोग मिट्टि के एक बर्तन में कुछ धान ( बाजरी,गेहु,चावल) कि फसल उगाते है जो नवरात्री के दसवे दिन उनका जल में विर्सजन करते है जो लोग माता कि नई मूर्ति बिठाते है नवरात्री के दिनो में उनका भी विर्सजन दसवे दिन हि किया जाता है.