माउंट आबू की जानकारी (Mount abu ki jankari) – माउंट आबू पर्वत यह भारत देश के राजस्थान राज्य के सिरोही जिले में है. अरावली पर्वत कि सबसे ऊपरी चोटी गुरू शिखर माउंट आबू पर्वत में स्थित है. अरावली पर्वत के सबसे ऊचे भाग में माउंट आबू पर्वत स्थित है. यह पर्वतीय शहर है तथा घना जंगल भी है. यह पर्यटक स्थल है और यहा पर बहुत रोमांचित स्थल भी है. माना जाता है कि माउंट आबू पर्वत में 33 करोड़ देवी देवता हुएँ. यहा पर बहुत से तीर्थ स्थल भी है.
माउंट आबू पर्वत की कुछ कुल उचाई 1220 M है, माउंटआबू शहर का प्राचीन नाम अर्बुदांचल था , माउंट आबू में स्वयं भगवान शिव ने भील दंपत्ति आहुक और आहूजा को दर्शन दिए थे. इस पर्वत पर जैन धर्म का भी तीर्थस्थान है. इस पर्वत को संतो का शहर भी कहा जाता है.
यहा पर घना जंगल होने के कारण कई बार जंगली जानवर जैसे की भालु और चिते घुमते हुए देखे जाते है. कई बार पर्यटक केवल भालु देखने के लिए ही यहां आते है. यहा पर नयें शादी सुदा जोडे घुमने के लिए आते है. दिवाली पर तथा गरमीयों में लाखो सख्या में लोग यहां घुमने आते है.
माउंट आबू में घूमने की जगह (Mount abu me ghumane ki jagah)
1. देलवाडा जैन मंदिर
यह माउंट आबू कि सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध इमारत है. यह मंदिर दिखता सामान्य है परन्तु इसमें अन्दर कि कलाकृति बहुत हि अद्धभुत है जिसे देखकर लोगो कि आखे खुली कि खुली रह जाती है. इसमें पांच मंदिर है जो जैन धर्म को समर्पित है देलवाडा जैन मदिर का निर्माण 11 वी शताब्दी में हुआ था. यह सफेद संगमरमर से बना हुआ है. इस मंदिर में मूर्तिया तो है हि परन्तु इसमें बहुत सुन्दर कलाकृति है जो देलवाडा जैन मंदिर कि शोभा बड़ाता है और यहाँ कि एक खास कहानी भी जिस पर एक छोटी राजस्थानी फिल्म भी बनाई गई है. इसमें एक मंदिर में लगी मूर्ति आदित्यनाथ कि जिसमें असली हिरे लगे हुए. इसकी दिवारों और छत पर बारकी से नक्काशी कि गई है.
2. अधर देवी माता मदिर
माउंट आबू के ऊचे पहाडों में माता अधर देवी (अबूंदा देवी ) का मन्दिर है जो की कई सालो पुराना है. यह भी एक धार्मिक प्रसिद्ध स्थल है. अर्बदा देवी माँ कात्यानी देवी का अवतार माना जाता है. अधर देवी इस मन्दिर का नाम इसलिए पड़ा क्योकि माँ पार्वती के इस जगह पर होठ गिरे थे इस कारण यहा पर मन्दिर का निर्माण किया गया. संस्कृत में होठ को अधर कहा जाता है इसलिए इस मन्दिर का नाम अधर देवी है. बिच पहाडों के अन्दर एक गुफा में स्थित हे यह मन्दिर जो थोड़ा ऊचा है कई सारी सिढ़िया चढ़ कर जाना होता है. इस उपर के उपरी भाग से एक बहुत सुन्दर पहाड़ों का नाजारा दिखाई देता है. मारवाड से कई लोग यहा दर्शन करने आते है तथा कई लोगो कि कुलदेवी होने के कारण बहुत से लोग आते है दर्शन, पुजा के लिए. एकादसी के दिन यहां बहुत भीड़ होती है. भक्तो कि यह लाइन लगती है जो अलग अलग जगहो से और अगल अलग गांव से आते है. जो पर्यटक यहाँ घुमने आते हे वो बिना दर्शन किए नही जाते है कई नई शादी शुदा जोडे माँ के आर्शिवाद के लिए भी यहां आते है.
3. नक्की झील
नक्की झील माउंट आबू कि हि नही बल्कि पुरे राजस्थान कि सबसे प्रसिद्ध झील हैं. यह माउंट आबू का सबसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थल भी है. पर्यटक सबसे पहले नक्की झील पर हि घुमने जाते है. मान्यता है कि माँ अधर देवी के एक सच्चे भक्त ने इसे माँ अधर देवी के आर्शिवाद से अपने नाखुनों से खोद कर बनाया था. नक्की के चारो और बहुत खुबसुरत पहाडों का नजारा है और नक्की के एक भाग मे एक सबसे ऊची चटटान हे जो मेंढक कि आकृति कि बनी हुई है वहाँ से नक्की का नजारा बहुत हि अदभुत दिखाई देता है. नक्की झील किसी राजकुमारी से विवाह के लिए एक हि रात में खोदी गई थी. एक राजा ने शर्त रखी थी यदि कोई एक रात में बहुत बड़ी झील खोद कर देंगा तो वो राजा उससे अपनी बेटी कि शादी करवाएगाँ परन्तु बाद में राजा अपनी अपनी बाद से मुकर गया. एक स्थानिय निवासी रसिया बालम ने राजा कि यह शर्त पुरी कि और राजा के मुकर जाने के कारण शादी न हो पाई जिससे किसी श्राप द्धारा दोनो रसिया बालम और वो राजकुमारी पत्थर कि मुर्ति बन गए जिनका मन्दिर आज भी देलवाडा मन्दिर के पास है. कई लोग देलवाडा मन्दिर जाने पर रसिया बालम और कुवाँरी कन्या जो राजकुमारी थी उनके दर्शन के लिए जरूर जाते है.
4. अचलगढ़
अचलगढ़ एक किला है जो राजस्थान के कई किलो में से एक प्रसिद्ध किला है. इस दुर्ग का निर्माण परमार शासको द्धारा करवाया गया था. यहा पर भगवान शिव के पैर के अंगुठे का निशान है. मंदिर के पास एक मंदाकिनी कुंड है जिसमें तीन शिव जी के प्रिय वाहन नंदी कि प्रतिमा है. इन नंदी की प्रतिमा कि भी अपनी एक अलग कहानी हे. इस मन्दिर का भी बहुत पुराना इतिहास है. यह दुर्ग पहाडी दुर्ग में आता है. माउंट आबू पर्वत में और भी कई पौराणिक और एतिहासिक स्थल है तथा कई पर्यटक स्थल भी है कई देवी देवताओं के मंदिर भी है. माउंट आबु पर्वत में बहुत ज्यादा हरियाली है और ऊचे ऊचे पर्वत भी है. राजस्थान में सबसे पहले नबर पालिका कि स्थपना माउंट आबू पर्वत में हि हुई थी. साल भर यहाँ ठंडा मोसम रहता है. कई बार माउंट आबू में बर्फ जम जाती और कई बार नक्की झील कि उपरी परत पुरी बर्फ से ढक जाती है.
Awesome info
बहोत अछि जानकारी है