सुभाष चंद्र बोस की जीवनी कहानी और निबंध – Subhash chandra bose hindi Nibandh
Subhash Chandra Bose in Hindi
हमारे देश भारत को आजादी दिलाने वाले महान क्रांतकारियों में से एक थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस. इस निबंध में आप सभी को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के बारे में विस्तार से जानने का मौका मिलेगा.
भारत के इतिहास में सुभाष चन्द्र बोस एक महान व्यक्ति और बहादुर स्वतंत्रता सेनानी के रुप में जाने जाते हैं. भारत देश के आजादी में दिया गया सुभाष चन्द्र बोस का बलिदान सदैव विस्मरणीय रहेगा. नेता सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 अक्टूबर 1897 में कटक (उड़ीसा) में हुआ था. इनका जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम जानकी नाथ बोस था और माता का नाम प्रभावती देवी था. इनके पिता एक बैरिस्टर थे और माता जी गृहणी थी.
सुभाष चन्द्र बोस ने अपनी आरंभिक शिक्षा कटक में स्थित एंग्लो इंडियन स्कूल से प्राप्त की और उसके बाद स्कॉटिश चर्च कॉलेज से दर्शनशास्त्र से स्नातक की डिग्री इन्होंने प्राप्त कर ली. सुभाष चन्द्र बोस पढ़ने में बहुत ही अच्छे थे इसी कारण उन्होंने अपने प्रतिभा के दम पर आई.सी.इस. की परीक्षा को पास किया था लेकिन बाद में उन्होंने आई.सी.इस. से इस्तीफा भी दे दिया. सुभाष चन्द्र बोस ने असहयोग आन्दोलन से जुड़ने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी और सन 1921 में असहयोग आन्दोलन से जुड़ गए.
भारत देश को स्वतंत्र कराने के लिए महात्मा गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन को 1920 में चलाया था. इस आंदोलन में हजारों भारतीय ने हिस्सा लिया और लोगों के उत्साह और एकजुटता को देखकर सुभाष चन्द्र बोस ने भी हिस्सा ले लिया. सुभाष चन्द्र बोस 20 जुलाई 1921 में महात्मा गांधी जी से पहली बार मिले. महात्मा गांधी ने उसी समय सुभाष चन्द्र बोस को नेता जी कहकर पुकारा था और तभी हम सभी बोस को नेता जी के नाम से जानने लगे.
सुभाष चंद्र बोस ने ही महात्मा गांधी जी को राष्ट्रपिता कहा था ये बात है 6 जुलाई 1944 की जब आजाद हिन्द रेडियो पर अपने भाषण के माध्यम से महात्मा गांधी को संबोधित करते हुए सुभाष चन्द्र बोस ने जापान से सहायता लेने का कारण और आजाद हिन्द फौज की स्थापना के उद्देश्य के बारे में बताया. इसी भाषण के दौरान नेता जी ने महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर पुकारा था.
सुभाष चंद्र बोस ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब आजाद हिन्द फौज के साथ भारत पर चल रही अंग्रेजी सरकार पर आक्रमण किया तब अपनी फौज को प्रेरित करने के लिए नेताजी ने दिल्ली चलो का नारा दिया.
सन 1939 को जब कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन त्रिपुरी में हुआ था उस समय सुभाष चन्द्र बोस बहुत तेज बुखार से ग्रसित थे कि उनको इस अधिवेशन में स्ट्रेचर पर लिटाकर लाना पड़ा था.
महात्मा गांधी इस अधिवेशन में उपस्थित नहीं थे और उनके साथियों ने भी सुभाष चन्द्र बोस का साथ इस अधिवेशन में नहीं दिया. जब अधिवेशन समाप्त हुआ तब नेता जी महात्मा गांधी के साथ समझौते की बहुत कोशिश की लेकिन वो नाकामयाब रहे. सुभाष चन्द्र बोस आख़िर में तंग आकर 29 अप्रैल 1939 को सुभाष चन्द्र बोस ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.
भारत को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से ही नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिन्द की स्थापना की. 4 जुलाई 1944 को इन्होंने अपना प्रसिद्ध नारा दिया. तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा.
सुभाष चन्द्र बोस जी के मृत्यु के बारे में आज भी विवाद बना हुआ है लेकिन कहा जाता है कि 18 अगस्त 1945 को टोक्यो जाते समय नेता जी की मौत हवाई दुर्घटना में हो गया था.
नेता जी ने जनता के बीच राष्ट्रीय एकता, बलिदान और साम्प्रदायिक सौहार्द की भावना को जागृत किया.
हमें गर्व है हमारे देश में ऐसे महापुरुष जन्म लिए ऐसे महान लोग हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं.
आशा है नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के बारे में ये जानकारी आपको पसंद आएगी !
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