स्वास्थ्य

पाइल्स का इलाज – बवासीर के लक्षण और घरेलू इलाज हिंदी

Piles (पाइल्स) Symptoms and Home Remedies - Piles ka elaj Hindi

पाइल्स का इलाज – भारत मे महिला बवासीर बहोत तेजी से बधने वाली बिमारी है. बवासीर (Piles) रोग होना का मुख्य कारण कब्ज होता है. जिन लोगों को कब्ज की शिकायत लंबे समय तक रहती है उनको मुख्यतः यह रोग होता है और अत्यधिक बैठे वाले लोगो को भी यह रोग होता है.
 
इस रोग में मल बहुत कठिनाई से निकलता है. मल के साथ खून भी निकलता है और अत्यधिक दर्द भी होता है. यह रोग अत्यधिक तीखा, मसालेदार और चिकना भोजन करने से बढ़ता है. इसलिए बवासीर वाले रोगी को खाने में हरी सब्जी और सलाद का प्रयोग अधिक करना चाहिये तथा तीखे मसाले और अत्यधिक खट्टी चीजों का उपयोग नहीं करना चाहिये.

मुक्यत: बवासीर (पाइल्स) दो प्रकार की होती है (bawasir ke prakar in hindi)

1.खुनी बवासीर
2.बादी बवासीर

खुनी बवासीर के लक्षण (Khuni Piles ke lakshan Hindi)

1. मल में खून आना व मल का रंग बदलना
2.शौच me मल त्याग करने के समय में बदलाव आना
3.शरीर का वजन काम होना व खाना न खाना
4.गुर्दो में दर्द होना
5.चक्कर आना
6. पेट दर्द देना
7.मल करता समय दर्द व जलन होना

बादी बवासीर के लक्षण (Bawasir ke lakshan in hindi)

1.गुदा  के आस-पास कठोर गांठ जैसी महसूस होती है
2.शौच के बाद भी पेट साफ नहीं होता
3.शौच के वक्त जलन होना
4.शौच के वक्त अत्यधिक पीड़ा होना
5.गुदा के आस-पास खुजली व सूजन रहना

बवासीर के घरेलू इलाज निम्न लिखित है (पाइल्स का इलाज हिंदी – Piles ka elaj Hindi)

1.आँवले का चूर्ण एक तोला सुबह-शाम शहद के साथ लेने पर पाइल्स में लाभ मिलता है.

2.एक चम्मच अनार के छिलकों का चूर्ण दिन में तीन बार ताजे पानी के साथ सेवन करें इसके अलावा अनार के पेड़ की छाल का काढा बनाएं उसमें एक चम्मच सौंठ तथा मिश्री मिलाकर पीने पर बवासीर में लाभ होता है.

3.आँवले का चूर्ण दही के साथ खाने पर आराम मिलता है.

4.गवार की फल्ली के पत्ते तथा काली मिर्च के दाने बराबर मात्रा में मिलाकर दोनों को पीस लें तथा पानी में मिलाकर पिएं.

5.मूली का रस काला नमक डालकर पीने से भी आराम मिलता है.

6.10 ग्राम त्रिफला चूर्ण शहद के साथ चाटें, आराम मिलेगा.

7.एक चम्मच मैथी के बीजों को पीसकर 300 मीली. बकरी के दूध में औटायें, इसमें एक चम्मच पिसी हल्दी और एक चुटकी काला नमक भी मिला दे, और दूध ठंडा होने के बाद सेवन करें, बीमारी मे लाभ अवश्य मिलेगा.

8.प्रतिदिन सुबह खाली पेट तीन-चार पके हुये बीज वाले अमरूद खाने से बवासीर में काफी लाभ होता है.

9.गाजर और पालक का रस समान मात्रा में मिलाकर पीने से बवासीर खत्म होती जाती है.

10.छोटी पिपली का चूर्ण  शहद के साथ चाटने पर बीमारी में आराम मिलता है.

11.बडी इलायची को जलाकर उसका चूर्ण बनाएं और प्रतिदिन सुबह दोप हर शाम ताजे पानी से लें.

12.काले तिल और ताजे मक्खन को समान मात्रा में मिलाकर खाने से बवासीर नष्ट होता है.

13.सुबह-शाम बकरी का दूध पीने से बवासीर में काफी लाभ होता है.

14) करेले का रस और मिश्री मिलाकर लेने से बवासीर में लाभ होता है.

15.प्याज के रस में घी और मिश्री मिलाकर खाने से बवासीर में लाभ होता है.

16.हरड़का पाउडर गुड़ के साथ मिलाकर खाने से बवासीर में लाभ मिलता है.

17.उबली हुई सब्जियाँ और सादा खाना इस बीमारी में लाभदायक है, इसके साथ सैंधा नमक मिलाकर मट्टे का सेवन अवश्य करें, और सलाद में मूली एवंम  गाजर का भी सेवन करें.

18.आंवले का चूर्ण एवं गुड़ मट्टे के साथ मिलाकर पीने से बवासीर में लाभ मिलता है.

19.इमली के बीजों को भूनकर उनका छिलका हटा लें तथा उनका चूर्ण बनाकर प्रातःकाल दही के साथ सेवन करें.

20.एक चम्मच करेले के रस में थोड़ी मिश्री मिलाकर दिन में दो बार पीने से बवासीर में लाभ होता है.

21.काशीफल का रस सभी तहर के बवासीर में लाभदायक होता है.

22.नीम और कनेर के पत्तों का लेप बवासीर के मस्सों पर लगायें.

23.तंबाकु के पत्तों की महीन चटनी बनाकर-मस्सों पर लेप करें.

24.नीम का तेल भी मस्सों पर लगाने से आराम मिलता है.

25.ताजे मक्खन में थोडी सी फिटकरी और पिसी हुई हरड़ मिलाकर मरसों पर लेप करने से आराम मिलता है.

26.हल्दी और कडवी तोरई को पीसकर उसका लेप मरसो पर लगाने से आराम मिलता है.

पतंजलि की बवासीर दवा

पतंजलि की बवासीर दवा

Arshkalp वटी पाइल्स, बवासीर और फिस्टुला के लिए एक समय परीक्षण दवा है. यह हर्बल एक्सट्रेक्ट के कॉम्बिनेशन से बना है,  सूजन को ठीक करने और दर्द और असुविधा को शांत करने की क्षमता रखी है. ये दवा मधुमेह, फिस्टुला आदि में भी उपयोगी है.
ओर यह ढेर के कारण चुभने, जलन और दर्द से बचाता है. यह दवा पाचन में सुधार करता है, गैस निर्माण और असुविधा को कम करता है. प्रयोग करने से पेहले डॉक्टर कि भी राय ले.

बैद्यनाथ बवासीर की दवा

अमरसुंदरी बटी यह औषधि श्वास ,खांसी, बवासीर और सन्निपात आदि रोगों में उपयोगी ह. पेट में वायु हो जाने पर इसके सेवन से लाभ होता है। इसका असर शरीर की वात वाहिनी नाड़ियों पर सर्वप्रथम होता है.ये दवा त्रिकटु, रेणुका, पीपलामूल, चित्रकमूल, लोहा भस्म,दालचीनी, तेजपत्ता और कही गुणो के साथ बनायी जाती है. प्रयोग करने से पेहले डॉक्टर कि भी राय ले.
 

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